प्राचीन प्रतिमाओं की सुरक्षा को ध्यान में रखकर कुदरती द्रव्यों से लेप व ओप का कार्य
मकराना आदि की माइन्स में से प्राप्त उत्कृष्ट पाषाण में से प्रतिमाजी का पवित्र वातावरण में निर्माणकार्य
पंच धातु की प्रतिमा आदि का निर्माणकार्य
प्रतिमाओं की पूजा-अर्चना अच्छी तरह से हो इसके लिए सूरत में प्रतिमातीर्थ में प्रतिमा का स्वीकार कार्य
खंडित आदि प्रतिमा एवं अयोग्य द्रव्य से बनी प्रतिमाओं की आशातना के निवारण के लिए स्वीकार कार्य
जिनालय का लीकेज आदि समस्याओं का निवारण कार्य
जिनालय के तल से लेकर शिखर तक की कोने कोने की शुद्धि एवं उपाश्रय की भी शुद्धि का कार्य
कहीं पर भी जिनालय का निर्माणकार्य एवं मार्गदर्शन
जिनालय एवं गृहजिनालय के लिए आवश्यक पत्थरों को गढ़ने का कार्य
प्रभुपूजा के पुष्पों के लिए देवबगीचो का निर्माणकार्य
जिनशासन के करोडों श्लोकप्रमाण प्राचीन शास्त्रों का संरक्षणकार्य
पथदर्शक सूरिभगवन्त के प्रवचन आदि के पुस्तकों का प्रकाशन कार्य
सूरत में एक ऐसा ग्रंथालय जहाँ से सैकड़ों ज्ञानपिपासुओं को शास्त्र उपलब्ध कराये जाते है
प्राचीन- अर्वाचीन श्रुतज्ञान की सुरक्षा की विविध कार्यवाही के लिए चार मंजिला भवन
श्रुतज्ञान की सही अर्थ में पूजा करने का आलंबन उपाश्रय-पाठशाला आदि में
चतुर्विध संघ की पारिष्ठापनिका समिति की रक्षा के लिए मात्रु कुंडी एवं स्थण्डिल डोम का निर्माण कार्य
विहार के दौरान श्रमणीवर्याओं की सुरक्षा के लिए भारतभर में कर्मचारी भेजने का कार्य
चारित्रपालन में विराधना से बचाए ऐसे चुनिंदे उपकरणों से पूज्यो की भक्ति
उष्णजल को शीत करने के स्टैंड का वितरण कार्य
पूजा में आवश्यक लेब टेस्ट द्वारा प्रमाणित शुद्धद्रव्यों की उपलब्धि का कार्य
धर्म के अनुष्ठानों को जाजरमान बनाने वाली सामग्री की उपलब्धि का कार्य
उद्यापनों में रखे गए उपकरणों की उचित जगह पहचानना और उपकरणों की आवश्यकता के अनुसार उद्यापन का आयोजन
सामूहिक दीक्षाएँ , उपधान तप , वाचनाश्रेणी जैसे अनुष्ठानों का आयोजन
बच्चो में संस्कार सिंचन के लिए रुचिकर दैनिक आयोजन
संस्कृत भाषा का ज्ञान प्राप्त करने के लिए विशिष्ट वर्गो का आयोजन
प्राकृत भाषा का ज्ञान प्राप्त कराने के लिए व्यवस्था
शौर्य, समर्पण एवं त्याग की भावना को उद्दीप्त करने वाले नाटकों का आयोजन
प्रभुभक्ति आदि में भावों की वृद्धि के लिए उपकरण बनवाने का कार्य
प्रभुभक्ति में आवश्यक द्रव्य, औषधियाँ आदि का गहन संशोधन
जैन धर्म से संलग्न होने वाली लीगल बाबतों की जानकारी श्रीसंघ में प्रसारित करना
विविध चित्रों को बनवाकर प्रसारित करना
आराधना के लिए जिनालय-उपाश्रय आदि से युक्त संकुलो का निर्माण व संचालन कार्य
अध्यात्म शिल्पशाला
कार्य प्रारंभ: वि.सं.२०७१
जैनों के स्थानांतर के कारण वे जिस नए स्थान पर जाकर बसते है वहां नूतन जिनालय आराधना के आलंबन के रूप में अनिवार्य होता है। इसीलिए तो सीहोर के राजा जब भावनगर में बसे तब उन्होंने जैन श्रेष्ठी कुंवरजीभाई माधाभाई आदि को नगर में बसने का आमंत्रण दिया। लेकिन उन श्रेष्ठियों ने कह दिया कि, "जिनालय के बिना हम नहीं आएंगे" राजा ने जिनालय की जगह दी। ऐसे तो अनेक इतिहास हैं।
इसीलिए अध्यात्म परिवार ने 'अध्यात्म शिल्पशाला' का एक विराट प्रकल्प प्रारंभ किया है। जिनालय निर्माण शास्त्रोक्त विधिपूर्वक तथा आकर्षक हो इसलिए पद्धति अनुसार योजना बनाई है, उसकी एक झलक इस प्रकार है :
शिल्प शास्त्रानुसारी प्लान बनाना।
स्तंभ, गोखले, घुम्मट आदि के आकर्षक भाववर्धक स्केच बनाना।
पाषाण आदि द्रव्यों की शुद्धि रखना।
रूपकाम मर्यादापूर्ण हो उसका ध्यान रखना।
पत्थर खरीदी, बांधकाम, पत्थर फिटिंग, कार्निंग आदि हर एक लेवल की देखरेख का कार्य स्वयं करना।
भविष्य में जिनालय की जैन स्थापत्य के रूप में पहचान बने इसलिए तीर्थंकर प्रभु आदि के जीवन प्रसंग तथा शासन-प्रभावक घटनाओं की कोरणी करना।
अध्यात्म शिल्पशाला द्वारा करोड़ों रुपए के देवद्रव्य का रक्षण, मजबूत बंधारण और गहरी तथा आकर्षक कोरणी, ऐसे त्रिविध लाभ के लिए यह कार्य प्रारंभ किया गया है।
यह है आरस की टनल माइन
अंबाजी माइन की एक थड़ी की खरीदी के समय खदानमलिक तथा अध्यात्म परिवार निर्माण विभाग के कार्यकर्ता।
थड़ी की खरीद के बाद बनाया गया स्टोन ब्लॉक।
मात्र अंबाजी या मकराना ही नहीं, इटली, थासोस ग्रीस, इथोपिया, ईरान आदि देशों से भी स्टोन ब्लॉक मंगवाया है।
जेसलमेर का स्टोन ब्लॉक
इस स्टोन ब्लॉक को ट्रेसिंग मशीन द्वारा जरूरी नाप के प्रमाण में कटा जाता है।
CNC डायमंड वायर प्रोफाइल मशीन
किसी भी शेप में पिलर बनाया जा सकता है
एक्सीस प्रीफाइल मशीन द्वारा कार्विंग
जैसा शेप जरूरी हो वैसी प्रोफाइलिंग हो सकती है।
ऐसा इन-ले वर्क भी शिल्पशाला में होता है।
यंत्र का काम होने के बाद इस प्रकार मैन्युअल फाइन कार्विंग आसान बन जाती है।
देलवाड़ा के मंदिर ८०० वर्ष बाद भी हमारा मन जीत लेते हैं, क्योंकि वहां बुरादे के बदले में चांदी, सोना तथा रत्न देकर गहरी गहरी कोरणी करवाई थी। छिछली कोरणी हो तो २५-५० वर्षों में पुनः घिसाई करवाने से वह कोरणी नष्ट हो जाती है।
कच्छ-रापर-गढ़वाली के दर्शनीय जिनालय की यह कार्विंग तथा प्रोफाइलिंग अध्यात्म शिल्पशाला में हो रही है।
श्री शांति कनक जिनालय, नानपुरा सूरत के जिनालय की कोरणी कई विशेषज्ञों के लिए आकर्षण बनी है!
श्री शान्तिवर्धक जिनालय-पाल, अभी तो यह निर्माणाधीन है तो भी ऐसा मन मोह लेता है तो जब पूर्ण रूप से बन जाएगा तब कैसा होगा!